Tuesday, October 6, 2009

तू त्रिमूर्ति


याद आती है,
तेरी याद आती है,
अंधेरे की पहली ज्योति,
दुनिया को समेटी गठरी,
तू त्रिमूर्ति,
तेरी याद आती है।

पगडण्डी से हटके,
आंखों से छुपके,
उस दूधवाले के सामने,
नाई के पीछे,
तू त्रिमूर्ति,
तेरी याद आती है।

तू ही तो था,
महानता का स्तंभ,
ग्यान का देवता,
अभियांत्रिकी का आरम्भ।
तू त्रिमूर्ति,
तेरी याद आती है।

तू जब न था
दो साल का अवकाश लिए,
किस्मत भी गया तेरे संग,
टाटा और गुड बाय किए।
तू त्रिमूर्ति,
तेरी याद आती है।

बड़ी मन्नतों के बाद,
तू लौटा एक सर्दी की रात में,
हम सब मिलने आए तुझे,
अपने पप्पाओं की कमाई लिए साथ में।

ज़माना बदला था,
मौसम ख़राब था,
फिल्में तो बकवास ही बकवास,
तूने क्या दारु पिया था?

कहाँ गया वो तेरा टॉप १०,
फेस ऑफ़ की गोली, देस्पेरादो का गन,
अब दिखाई तुने सिर्फ़ कूल सर्फेस,
मदमस्त टेरी दिखाती बेशरम तन।

लेकिन तुझमे जान बाकी था
उस पूनम की रात में,
विदाई की सौगात लिए,
तूने जुगाडा आइस वाइड शट था।

अब साल गए, महीने खोये,
फिल्में आए, फिल्में गए,
मल्टीप्लेक्स में गिरे, पोपकोर्न पे रोये,
तेरी बात अलग थी, तू महान था।
तू त्रिमूर्ति।
तेरी याद आती है।
तेरे बाद भी आती है।

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